तमिलनाडु में Tata Harrier EV हादसे ने ‘Summon Mode’ की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानिए पूरा मामला और EVs पर उठते नए सवाल।

भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का दौर चल रहा है। लोग पेट्रोल-डीज़ल की महंगाई से बचने और एक ग्रीन फ्यूचर के लिए EVs की तरफ़ बढ़ रहे हैं। लेकिन हर नई तकनीक अपने साथ कुछ सवाल भी लेकर आती है। हाल ही में तमिलनाडु में हुआ Tata Harrier EV का हादसा यही सोचने पर मजबूर कर रहा है कि – क्या हमारी गाड़ियाँ सच में उतनी सुरक्षित हैं, जितना हम मानते हैं?
हादसा कैसे हुआ?
खबरों के मुताबिक़, यह दुर्घटना तब हुई जब गाड़ी को उसके ‘Summon Mode’ में इस्तेमाल किया जा रहा था।
इस मोड का मकसद होता है कि ड्राइवर बिना स्टीयरिंग पर बैठे गाड़ी को पार्किंग से आगे-पीछे कर सके।
लेकिन इस बार सिस्टम ग़लत साबित हुआ। गाड़ी अचानक पीछे की तरफ़ लुढ़क गई और हादसा हो गया।
दुखद यह रहा कि इस घटना में ड्राइवर की जान चली गई।
“यह हादसा सिर्फ़ एक दुर्घटना नहीं था, बल्कि ऐसा पल था जिसने लोगों के मन में EV टेक्नॉलजी को लेकर डर और शक दोनों पैदा कर दिए।”
आखिर Summon Mode है क्या?
“अगर आपके मन में सवाल है कि Summon Mode आखिर है क्या, तो इसे आसान भाषा में यूँ समझें:”
मान लीजिए आपकी गाड़ी तंग पार्किंग में फँसी है। आप गाड़ी के अंदर बैठे बिना सिर्फ़ बटन या मोबाइल ऐप से उसे धीरे-धीरे आगे-पीछे कर सकते हैं।
“ये फीचर सुनने में भले ही स्मार्ट और सुविधाजनक लगे, लेकिन जब सिस्टम ही गड़बड़ा जाए, तो उसके नतीजे कितने खतरनाक हो सकते हैं—यह हादसा साफ़ बता देता है।”
हादसे के बाद उठे सवाल

इस घटना के बाद लोग कुछ बुनियादी सवाल पूछ रहे हैं:
क्या EV कंपनियाँ सुरक्षा टेस्टिंग पर उतना ध्यान दे रही हैं जितना देना चाहिए?
क्या भारतीय परिस्थितियों में यह फीचर पूरी तरह भरोसेमंद है?
और सबसे अहम, क्या तकनीक पर इतना भरोसा करना सही है कि हम अपनी जान भी उसके हवाले कर दें?
टाटा मोटर्स की प्रतिक्रियाblog

टाटा मोटर्स ने इस हादसे पर अफसोस जताते हुए कहा है कि वे पूरे मामले की जांच करेंगे।
कंपनी का दावा है कि ग्राहक की सुरक्षा हमेशा उनकी पहली प्राथमिकता है।
तकनीकी टीम को लगाया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि गलती सिस्टम की थी या इस्तेमाल के दौरान कोई और दिक़्क़त हुई।
लेकिन तब तक लोगों के मन में डर और अविश्वास रहना तय है।
लोगों की चिंता – क्या EVs वाकई सुरक्षित हैं?
EVs को भविष्य का वाहन कहा जा रहा है। लेकिन इस तरह की घटनाएँ यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि:
“क्या हम तेज़ी की दौड़ में टेक्नॉलजी पर ज़रूरत से ज़्यादा भरोसा तो नहीं करने लगे?”
कंपनियाँ कहीं “नए फीचर्स” दिखाने की होड़ में सुरक्षा को नज़रअंदाज़ तो नहीं कर रहीं?
और क्या भारत जैसे देशों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा टेस्टिंग की ज़रूरत है?
सीख और उम्मीद
हर हादसा हमें कुछ सिखाता है। यह घटना हमें यही याद दिलाती है कि –

टेक्नॉलजी कितनी भी एडवांस क्यों न हो, इंसान की सुरक्षा सबसे ऊपर है।
कंपनियों को सिर्फ़ नए फीचर्स देने पर नहीं, बल्कि हर फीचर को 100% सुरक्षित बनाने पर जोर देना होगा।
ग्राहकों के लिए भी यह ज़रूरी है कि वे नई तकनीक का इस्तेमाल सोच-समझकर करें।
निष्कर्ष
तमिलनाडु का यह हादसा सिर्फ़ एक EV दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है।
यह हमें बताता है कि EV का भविष्य उज्ज्वल ज़रूर है, लेकिन जब तक सुरक्षा और भरोसा मज़बूत नहीं होता, तब तक यह सफ़र आसान नहीं होगा।
कंपनियों और सरकार दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि टेक्नॉलजी हमारी जिंदगी आसान बनाए, लेकिन उसे खतरे में न डाले।