परिचय:
भारतीय राजनीति में अक्सर एक बयान पूरे माहौल को हिला देता है। आज का दिन भी कुछ ऐसा ही रहा। कांग्रेस के दिग्गज नेता और लोकसभा में विपक्ष के मुखिया राहुल गांधी ने आज चुनाव आयोग पर सीधा-सीधा “वोट चोरी” का आरोप लगाया। उनके इस बयान ने राजनीति में जैसे तूफ़ान ला दिया हो। विपक्षी दलों में हलचल मच गई और एक तरह से नए गठबंधन की आहट सुनाई देने लगी।

राहुल गांधी का बड़ा आरोप – “वोट चोरी” हो रही है
दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि देश के कई हिस्सों में मतदाता सूची से असली वोटरों के नाम गायब किए जा रहे हैं और फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं। उनका कहना था—
“अगर चुनाव ही ईमानदारी से न हों, तो लोकतंत्र का क्या मतलब बचता है?”
उन्होंने इसे सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद पर सीधा हमला बताया।

अखिलेश यादव और चंद्रशेखर आज़ाद का खुला समर्थन
राहुल के इस बयान के बाद विपक्षी एकजुटता के संकेत साफ दिखे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने तुरंत खुलकर समर्थन दिया।
अखिलेश बोले—
“यह सिर्फ राहुल गांधी की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र की लड़ाई है।”

अशोक गहलोत ने भी उठाए सवाल
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी राहुल गांधी का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए। उन्होंने खास तौर पर हाल ही में ईसी की नियुक्ति प्रक्रिया में हुए बदलाव का जिक्र किया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश की जगह गृह मंत्री को चयन समिति में शामिल किया गया है। गहलोत का कहना था कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर चोट है।

भाजपा का पलटवार
इधर, भाजपा ने भी देर नहीं लगाई। कर्नाटक भाजपा ने कांग्रेस पर ही हमला करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के वरुणा विधानसभा क्षेत्र में फर्जी वोटरों के नाम जोड़े गए हैं। भाजपा नेताओं का कहना था कि राहुल गांधी “हार की निराशा” में बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।

आगे क्या?
राहुल गांधी का “वोट चोरी” बयान सिर्फ एक दिन की सुर्खी नहीं है। आने वाले समय में यह मुद्दा विपक्षी एकजुटता को और मजबूत कर सकता है, या फिर भाजपा के जवाबी हमलों के बीच फीका भी पड़ सकता है।
फिलहाल इतना तय है कि यह विवाद आने वाले चुनावी मौसम में एक बड़ा एजेंडा बनने जा रहा है।