कार्यक्रम के मंच पर CM सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से कन्नड़ जानने का सवाल किया। राष्ट्रपति का प्यारा जवाब सबका दिल जीत गया।

Up Kiran, Digital Desk: राजनीति और औपचारिक कार्यक्रमों में अक्सर माहौल गंभीर रहता है। लेकिन कभी-कभी एक छोटी सी सहज बातचीत पूरे माहौल को खुशनुमा बना देती है। हाल ही में ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला जब एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंच से सीधे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से एक सवाल पूछ लिया। इस सवाल और उसके प्यारे से जवाब ने हर किसी का दिल छू लिया।
सीएम का मासूम सवाल
कार्यक्रम शुरू होने से पहले जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बोलने के लिए मंच पर आए, तो उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत बहुत ही अनोखे अंदाज़ में की। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए पूछा –
“आपको कन्नड़ आती है क्या?”
उनके इस सीधे सवाल पर कुछ पल के लिए पूरा मंच और दर्शकदीर्घा चौंक गई। आमतौर पर ऐसे औपचारिक अवसरों पर इस तरह के सवालों की उम्मीद किसी को नहीं होती। लेकिन यही अनपेक्षित सवाल इस पूरे पल को खास बना गया।
राष्ट्रपति मुर्मु का प्यारा जवाब
मुख्यमंत्री के सवाल पर राष्ट्रपति मुर्मु के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गई। उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के बेहद विनम्रता और आत्मीयता के साथ कन्नड़ में ही जवाब दिया –
“स्वल्प स्वल्प बरुत्ते।”
(हिंदी अनुवाद: “थोड़ी-थोड़ी आती है।”)
बस फिर क्या था! राष्ट्रपति का यह सादगी भरा जवाब सुनते ही न केवल मंच पर मौजूद लोग बल्कि दर्शकों के बीच बैठे सभी लोग मुस्कुरा उठे। पूरे हॉल का माहौल हल्का और आत्मीय हो गया।
क्यों खास है यह छोटा सा संवाद?
यह घटना केवल एक सवाल-जवाब तक सीमित नहीं है। इसमें छिपा संदेश और भी गहरा है।
भाषा का सम्मान:
राष्ट्रपति मुर्मु ने कन्नड़ में जवाब देकर यह दिखाया कि चाहे वे देश की सर्वोच्च संवैधानिक पद पर हों, लेकिन उन्हें स्थानीय भाषा और संस्कृति से जुड़ना आता है।
सादगी और आत्मीयता:
उनका जवाब बिल्कुल सरल था, लेकिन उसमें विनम्रता और आत्मीयता झलक रही थी। यह उनके व्यक्तित्व की सादगी को दर्शाता है।
राजनीति से परे मानवीय पल:
औपचारिक और गंभीर माहौल के बीच यह छोटा सा संवाद मानवीय रिश्तों और सहजता की मिसाल बन गया।
दर्शकों की प्रतिक्रिया

जैसे ही राष्ट्रपति का जवाब गूंजा, लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई। तालियों की गड़गड़ाहट और माहौल की हल्की-फुल्की हंसी ने साबित कर दिया कि जनता को भी ऐसे सहज और मानवीय पल बेहद पसंद आते हैं। सोशल मीडिया पर भी यह घटना तेजी से वायरल होने लगी और लोगों ने राष्ट्रपति की सादगी की जमकर तारीफ की।
औपचारिकता में सादगी का महत्व
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, जहां हर राज्य की अपनी भाषा और संस्कृति है, वहां इस तरह के पल केवल मज़ाक या हल्के-फुल्के अंदाज़ के लिए नहीं होते, बल्कि वे गहरी एकता और सांस्कृतिक सम्मान का संदेश भी देते हैं।
राष्ट्रपति का यह जवाब बताता है कि वे हर राज्य की भाषा और संस्कृति को समझने व अपनाने की कोशिश करती हैं।
मुख्यमंत्री का यह सवाल भी दर्शाता है कि राजनीति से ऊपर उठकर वे एक मानवीय जुड़ाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।
संदेश जो दिल तक पहुंचा
यह घटना हमें यह सिखाती है कि बड़े से बड़ा पद या जिम्मेदारी भी इंसानियत और सादगी के सामने छोटी लगती है।
एक छोटी मुस्कान,
एक प्यारा जवाब,
और थोड़ी-सी सहजता…
ये सब मिलकर किसी भी औपचारिक कार्यक्रम को यादगार बना सकते हैं।
निष्कर्ष
भरे मंच पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के बीच हुआ यह छोटा-सा संवाद आने वाले समय तक लोगों को याद रहेगा। एक तरफ मुख्यमंत्री का मासूम सवाल, तो दूसरी तरफ राष्ट्रपति का प्यारा जवाब – दोनों ने मिलकर यह साबित कर दिया कि सादगी ही सबसे बड़ी ताकत है।
यह वाकया न केवल एक औपचारिक कार्यक्रम को हल्का और आत्मीय बना गया, बल्कि यह भी दिखा गया कि भाषा और संस्कृति के सम्मान से लोगों के दिल आसानी से जीते जा सकते हैं।
✅ तो अगली बार जब आप किसी औपचारिक मंच पर गंभीर माहौल देखें, याद रखिए – कभी-कभी एक छोटा सा सवाल और एक प्यारा सा जवाब लाखों दिलों को छू सकता है।