“मुकाम का असली मतलब क्या है? जानिए सफलता, मेहनत और इज्जत जीवन की मंज़िल को समझने का आसान और प्रेरणादायक तरीका।”

दुनिया में इंसान चाहे कितना भी धन, शोहरत और ताक़त क्यों न कमा ले, लेकिन अगर उसके पास इज्जत नहीं है तो सब बेकार हो जाता है। समाज में इज्जत ही वह पूंजी है जो इंसान की पहचान बनाती है। इसी कारण लोग अक्सर पूछते हैं – “जिसकी कोई इज्जत ना हो उसे क्या कहते हैं?” यह सवाल सिर्फ़ शब्दों का नहीं है, बल्कि रिश्तों, संस्कारों और समाज की सोच को भी दर्शाता है।
इज्जत का महत्व क्यों है?
इज्जत इंसान की सबसे बड़ी संपत्ति मानी जाती है। यह न तो खरीदी जा सकती है और न ही किसी से छीनकर ली जा सकती है। इसे कमाने के लिए सालों मेहनत करनी पड़ती है।
घर में इज्जत – परिवार में जो इंसान सभी का सम्मान करता है, वही सबसे ज्यादा आदर पाता है।
समाज में इज्जत – अच्छे कर्म करने वाला व्यक्ति हमेशा समाज में इज्जत पाता है।
रिश्तों में इज्जत – अगर कोई रिश्तों की कद्र करता है तो लोग भी उसे इज्जत देते हैं।
इसके विपरीत, जिसकी कोई इज्जत नहीं होती, उसे लोग गंभीरता से नहीं लेते और अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
जिसकी कोई इज्जत ना हो उसे क्या कहते हैं?

अगर सीधी भाषा में समझें तो जिसकी इज्जत ना हो, उसे समाज अलग-अलग नामों से पुकारता है। जैसे:
बेइज़्ज़त इंसान – जिसे लोग सम्मान नहीं देते।
बदनाम – जिसका नाम गलत कामों या बुरी आदतों से जुड़ा हो।
गैर-इज़्ज़तदार – जिसे लोग गंभीरता से न लें।
गिरा हुआ व्यक्ति – जिसके कर्म उसे समाज की नज़र में नीचे गिरा दें।
ये शब्द केवल गालियां नहीं हैं, बल्कि उस स्थिति का वर्णन करते हैं जब इंसान अपनी गलतियों, बुरे व्यवहार या गलत कामों के कारण समाज का विश्वास और मान-सम्मान खो बैठता है।
इंसान इज्जत क्यों खो देता है?
हर कोई चाहता है कि उसकी इज्जत बनी रहे, लेकिन कई बार इंसान खुद ही अपनी इज्जत गंवा बैठता है। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:
झूठ बोलना और धोखा देना – बार-बार झूठ बोलने या दूसरों को धोखा देने से इंसान की छवि खराब हो जाती है।
गलत काम करना – चोरी, भ्रष्टाचार, रिश्वत या बुरे काम करने वाला व्यक्ति समाज की नज़र में गिर जाता है।
दूसरों की बेइज़्ज़ती करना – जो दूसरों का आदर नहीं करता, उसे भी समाज से सम्मान नहीं मिलता।
विश्वास तोड़ना – रिश्तों और दोस्ती में विश्वास सबसे अहम है। एक बार विश्वास टूट जाए तो इज्जत भी चली जाती है।
बुरा व्यवहार – गाली-गलौज, गुस्से में गलत बातें कहना या दूसरों को छोटा दिखाना भी इज्जत खोने का कारण है।
जिसकी इज्जत नहीं होती, उसकी हालत कैसी होती है?
इज्जत खोने के बाद इंसान की हालत बेहद खराब हो जाती है।
लोग उसकी बातों पर ध्यान देना बंद कर देते हैं।
समाज में उसकी कोई कद्र नहीं रहती।
परिवार और दोस्त भी दूरी बनाने लगते हैं।
उसकी मेहनत और काम को लोग नजरअंदाज कर देते हैं।
धीरे-धीरे वह इंसान अकेला पड़ जाता है।
यानी इज्जत सिर्फ़ बाहरी सम्मान नहीं है, बल्कि यह इंसान की पहचान और आत्मसम्मान से भी जुड़ी है।
क्या इज्जत खोकर वापस पाई जा सकती है?
जी हाँ, इज्जत खोने के बाद भी इंसान चाहे तो उसे वापस पा सकता है। हालांकि यह आसान नहीं होता, लेकिन सही कदम उठाकर धीरे-धीरे समाज में सम्मान फिर से हासिल किया जा सकता है।
सच्चाई अपनाएं – झूठ और धोखे को छोड़कर ईमानदार बनें।
अपनी गलतियों को मानें – गलती मानने से लोग आपको फिर से गंभीरता से लेने लगते हैं।
दूसरों का सम्मान करें – “जैसा करोगे, वैसा भरोगे” – दूसरों की इज्जत करने से आपकी भी इज्जत बढ़ेगी।
अच्छे काम करें – समाज और परिवार के लिए सकारात्मक काम करना आपकी छवि सुधार सकता है।
धैर्य रखें – सम्मान धीरे-धीरे बनता है, तुरंत नहीं।
समाज में इज्जतदार बनने के लिए क्या करें?
अगर आप चाहते हैं कि आपकी इज्जत बनी रहे, तो कुछ बातों का ध्यान ज़रूर रखें:
हमेशा सच बोलें।
दूसरों की मदद करें।
किसी की बेइज़्ज़ती न करें।
अपने कर्म अच्छे रखें।
समाज और परिवार की उम्मीदों पर खरे उतरें।
निष्कर्ष
“जिसकी कोई इज्जत ना हो उसे क्या कहते हैं?” – इसका जवाब है कि ऐसे इंसान को समाज अक्सर बेइज़्ज़त, बदनाम या गिरा हुआ कहता है। लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि इज्जत पैसों से नहीं, बल्कि सच्चाई, अच्छे व्यवहार और सही कर्मों से मिलती है।