यूरोप का नया सुपरकंप्यूटर जुपिटर चीन और अमेरिका को टक्कर देने के लिए तैयार! AI में क्रांतिकारी बदलाव, जलवायु और हेल्थ रिसर्च में नई उम्मीद। जानें जर्मनी के इस एक्सास्केल कंप्यूटर की पूरी ताकत।

5 जून 2025 को जर्मनी में लॉन्च हुए इस सुपरकंप्यूटर ने तकनीक की दुनिया में हलचल मचा दी। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि यह कदम यूरोप को AI की दौड़ में अमेरिका और चीन के बराबर ला सकता है।
AI की दुनिया में यूरोप की नई उम्मीद
यूरोप का नया सुपरकंप्यूटर – जुपिटर (Jupiter): तकनीक की दौड़ में लंबे समय तक यूरोप पीछे माना जाता रहा है। वैश्विक स्तर पर बड़ी कंपनियों की पहचान सीमित रही और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की रेस में अमेरिका और चीन ने बाजी मार रखी थी। लेकिन अब यूरोप ने अपनी ताकत दिखाने का मन बना लिया है और इसका हथियार है सुपरकंप्यूटर जुपिटर।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में अमेरिका ने 40 बड़े AI मॉडल, चीन ने 15 और यूरोप सिर्फ 3 मॉडल तैयार किए। ऐसे हालात में जुपिटर का आगमन”यह यूरोप के लिए एक महत्वपूर्ण और बड़ी छलांग साबित होने वाला कदम है।”
चांसलर मर्ज ने कहा:
“AI क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच कड़ा मुकाबला है, लेकिन यूरोप के पास अभी भी आगे बढ़ने का मौका है। ‘सॉवरेन कंप्यूटिंग कैपेसिटी’ हासिल करना न केवल आर्थिक प्रतिस्पर्धा के लिए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद जरूरी है।”
जुपिटर कैसे बना?
जुपिटर का निर्माण फ्रांस की Atos की सहायक Eviden और जर्मन ग्रुप ParTec ने मिलकर किया। हालांकि इसमें अमेरिका की Nvidia के 24,000 चिप्स का इस्तेमाल हुआ है, जो दिखाता
स्थान: जूलिश सुपरकंप्यूटिंग सेंटर, जर्मनी
साइज: 3,600 वर्ग मीटर (लगभग आधा फुटबॉल मैदान)
जुपिटर की ये विशालता और तकनीक इसे दुनिया के सबसे एडवांस सुपरकंप्यूटर्स में शामिल करती है।
ताकत का नया मापदंड
जुपिटर को यूरोप का पहला एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर कहा जा रहा है। इसका मतलब यह कि यह हर सेकंड एक क्विंटिलियन (एक अरब अरब) कैलकुलेशन करने में सक्षम है।
मौजूदा किसी भी जर्मन कंप्यूटर से 20 गुना ज्यादा शक्तिशाली
लागत: लगभग 500 मिलियन यूरो (~580 मिलियन डॉलर), फंड जर्मनी और यूरोपीय संघ मिलकर कर रहे हैं।
“तुलनात्मक रूप से, अमेरिका के पास वर्तमान में सिर्फ तीन एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर मौजूद हैं।”
जुपिटर AI के लिए यूरोप की नई ताकत है, जो तकनीक की दुनिया में इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिला सकता है।
AI से आगे – जुपिटर का असर

जुपिटर केवल AI मॉडल ट्रेनिंग तक सीमित नहीं है। इसके और भी कई क्रांतिकारी उपयोग हैं:
जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी
मौजूदा सिस्टम केवल 10 साल की क्लाइमेट फोरकास्ट देते हैं।
“जुपिटर की मदद से अब 30 से 100 साल तक की सटीक भविष्यवाणियाँ संभव हो सकेंगी।”
बायोमेडिकल रिसर्च
दिमाग की प्रक्रियाओं का सिमुलेशन
अल्जाइमर जैसी बीमारियों पर रिसर्च को तेज़ करना
क्लीन एनर्जी
पवन ऊर्जा और अन्य क्लीन एनर्जी समाधानों को अधिक प्रभावी बनाना
यूरोप की तकनीकी वापसी
जुपिटर का लॉन्च यूरोप के लिए टेक्नोलॉजी में वापसी का प्रतीक है। AI और सुपरकंप्यूटिंग की दुनिया में अमेरिका और चीन की बढ़त अब चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
चांसलर मर्ज के शब्दों में:
“यह सिर्फ एक कंप्यूटर नहीं, बल्कि यूरोप की तकनीकी और वैज्ञानिक स्वतंत्रता की दिशा में बड़ा कदम है।”
यूरोप ने साबित कर दिया कि वह भी वैश्विक AI रेस में अपनी पहचान बना सकता है। जुपिटर सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि यूरोप का गर्व बन गया है।